जानिंये प्रेस की आचार संहिता पत्रकारिता के नियम



भारतीय प्रेस परिषद् और भी अनेकों मीडिया संगठन ने समय –समय पर पत्रकारिता के लिए बहुत सारे आचार-संहिता का निर्माण किया है ,फिर भी सभी लोगों के आचार-संहिता को पढने के बाद एक सर्वव्यापी प्रेस की आचार-संहिता इस प्रकार है |

1.पत्रकार को किसी भी विचारधारा से प्रभावित होकर खबर का प्रकाशनया प्रसारण नहीं करना चाहिए। पत्रकार को हर समय न्यायनिष्ट और निष्पक्ष रहना चाहिए।

हमारे देश में जाति और धर्म के नाम पर हमेशा विवाद होता रहता है,कई बार तो दंगा की भी नौबत आ जाती है। अत: एक पत्रकारको खबर का प्रकाशन और प्रसारण करते समय समय विशेष सावधानी और निष्पक्षता बरती जाये। किसी भी प्रकार से जाति या धर्म को लेकर टिका-टिप्पणी नहीं करना चाहिए।
खबर की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। खबर जो है ठीक वैसे ही पेश करना चाहिए। समाचारों में तथ्यों को तोडा मरोड़ा न जाये न कोई सूचना छिपायी जाये।
व्यावसायिक गोपनीयता का निष्ठा से अनुपालन का ध्यान रखना चाहिए।
पत्रकारिता एक मिशन है अत: इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत हित साधने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। प्राय: कई ऐसे पत्रकार और पत्रकारिता संस्थान पत्रकारिता को ढाल बनाकर उसके आड़ में गलत धंधा करते हैं। खुद को पत्रकार बताकर नियम-कानून की अवहेलना करना या मनमानी करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
पत्रकार अपने पद और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यों के लिए न करें। उदाहरण के लिए- प्राय: ऐसा देखा जाता है कि कई बार ट्रैफिक नियम का पालन ना करने पर जब पत्रकार को दंडित किया जाता है तो वह खुद को प्रेस से बताकर अपने पद का दुरुपयोग करता है।
पत्रकारिता पर कई बार पेड न्यूज जैसे दाग लग चुके हैं। अत: पत्रकारिता की मर्यादा का ध्यान रखते हुए एक पत्रकार को रिश्वत लेकर समाचार छापना या न छापना अवांछनीय,अमर्यादित और अनैतिक है।
हर व्यक्ति की इज्जत उसकी निजी संपत्ति होती है। जिसपर सिर्फ उसी व्यक्ति का अधिकार होता है किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में अफवाह फैलाने के लिए पत्रकारिता का उपयोग नहीं किया जाये। यह पत्रकारिता की मर्यादा के खिलाफ है। अगर ऐसा समाचार छापने के लिए जनदबाव हो तो भी पत्रकार पर्याप्त संतुलित रहे।
कुछ साल पहले राष्ट्रपति एपीजे अव्दुल कलाम के हस्ताक्षर से एडीटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने एक पत्रकार व्यवहार संहिता भी जारी की थी। इसमें भी काफी मनन के बाद कई बिंदुओं को शामिल किया गया था। कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-

पर्याप्त समय सीमा के तहत पीड़ित पक्ष को अपना जवाब देने या खंडन करने का मौका दें।
किसी व्यक्ति के निजी मामले को अनावश्यक प्रचार देने से बचें।
किसी खबर में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उसमें अतिश्योक्ती से बचें।
निजी दुख वाले दृश्यों से संबंधित खबरों को मानवीय हित के नाम पर आंख मूंद कर न परोसा जाये।मानवाधिकार और निजी भावनाओं की गोपनीयता का भी उतना ही महत्व है।
धार्मिक विवादों पर लिखते समय सभी संप्रदायों और समुदायों को समान आदर दिया जाना चाहिए।
अपराध मामलो में विशेषकर सेक्स और बच्चों से संबंधित मामले में यह देखना जरूरी है कि कहीं रिपोर्ट ही अपने आप में सजा न बन जाये और किसी जीवन को अनावश्यक बर्बाद न कर दे।
चोरी छिपे सुनकर (और फोटो लेकर) किसी यंत्र का सहारा लेकर,किसी के निजी टेलीफोन पर बातचीत को पकड़ कर,अपनी पहचान छिपा कर या चालबाजी से सूचनाएं प्राप्त नहीं की जायें। सिर्फ जनहित के मामले में ही जब ऐसा करना उचित है और सूचना प्राप्त करने का कोई और विकल्प न बचा हो तो ऐसा किया जाये।

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