सिसकती कलम का दर्द
पत्रकार को हत्या की धमकी से पत्रकारिता समाप्त नहीं हो सकती! स. संपादक शिवाकान्त पाठक हरिव्दार उत्तराखंड! भारतीय संविधान की संरचना में चार स्तम्भ है कार्य पालिका , न्याय पालिका , विधायिका ,तथा पत्रकारिता अब हम ऐक पैनी नजर डालकर देखते हैं कि इन चार स्तम्भो में अपनी अपनी जिम्मेदारी बखूबी तौर से कौन कौन निभा रहा है तो देंखे कार्यपालिका के काम से क्या जनता संतुष्ट है क्या जनता की समस्यायें कार्य पालिका हल करती है सभी अधिकारियों व कर्मचारियों व्दारा क्या राष्ट्रहित व जनहित में बिना किसी सुविधा शुल्क लिए काम होते हैं किसी भी पेंशन या प्रमाण पत्र राशनकार्ड या विकाशकार्यों में पारदर्शिता होती है जबाब खुदबखुद आप के पास है इसी तरह न्याय का भी हल है दूल्हा बिकता है बोलो खरीदोगे की तर्ज पर यहाँ न्याय भी अमीरों की विरासत का रूप ले चुका है इसी तरह विधायिका भी देखे तो बड़े बड़े घोटाले सुरसा की तरह विकराल मुँह फैलाये दिखेगें अब बात पत्रकारिता की करते हैं तो ज्यादातर पत्रकार आर्थिक संकट से गुजरकर भी पत्रकारिता लत में पड़कर अपना व परिवार का भविष्य चौपट कर चुके हैं वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नही