22 जनवरी को होगी फाँसी सुप्रीम कोर्ट का फैसला!


22 जनवरी को होगी फाँसी सुप्रीम कोर्ट का फैसला!  बेखौफ कलम ! निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape) के दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने मंगलवार शाम 4 बजकर 45 मिनट पर डेथ वारंट जारी कर दिया है. मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है. कोर्ट ने कहा कि इस बीच चाहें तो बचे हुए कानूनी विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं. चारों दोषियों को बुधवार यानी 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी. आज सुनवाई के दौरान सबसे पहले वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग से तिहाड़ के जेल नंबर 4 से विनय को पेश किया गया. वहीं, जेल नंबर 2 से अक्षय, मुकेश और पवन को पेश किया गया.
अदालत के फैसले के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे.
वहीं, कोर्ट से न्याय मिलने के बाद पीड़िता की मां ने कहा, ‘मेरी बेटी को न्याय मिला है. 4 दोषियों की सजा देश की महिलाओं को सशक्त बनाएगी. इस फैसले से न्यायिक प्रणाली में लोगों का विश्वास मजबूत होगा.’
वहीं, निर्भया के पिता ने कहा, ”मैं अदालत के फैसले से खुश हूं. दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी. इस फैसले से ऐसे अपराध करने वाले लोगों में डर पैदा होगा.”
दरअसल, इससे पहले कोर्ट ने अभियोजन, निर्भया के माता-पिता के वकील और बचाव पक्ष के वकीलों को सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला दोपहर 3.30 बजे तक सुरक्षित रख लिया था. अदालत को ये तय करना है कि आज डेथ वारंट जारी किया जाए या दोषियों को क्‍यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए समय दिया जाए.
14 दिन का समय मिलेगा
इससे पहले तिहाड़ जेल प्रशासन ने अदालत में स्‍टेटस रिपोर्ट दायर की थी. सरकारी वकील की तरफ से अदालत में बताया गया कि दोषियों की कोई दया याचिका लंबित नहीं है. दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है. डेथ वारंट जारी करना मामले का अंत नहीं होगा, क्‍योंकि उसके बाद कानूनी प्रकिया के मुताबिक अन्‍य कानूनी विकल्‍पों पर विचार करने के लिए 14 दिन का मौका उनको मिलेगा.
वहीं, निर्भया के परिजनों के वकील ने कहा कि डेथ वारंट जारी करने में कोई बाधा नहीं है. लिहाजा वारंट जारी किया जाना चाहिए और विकल्‍पों के लिए 14 दिनों की समससीमा का भी अनुपालन किया जाना चाहिए. लेकिन हमारी मांग है कि डेथ वारंट जारी किया जाए.
जज ने सवाल पूछा कि दया याचिका दायर करने के लिए समय सीमा क्‍या है? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उचित और निर्धारित समय 7 दिन है. एमिकस क्‍यूरी ने कहा कि मुझे मुकेश द्वारा पेंटिंग्स दिखाया गई थी. मुझे मेडिकल हिस्‍ट्री के कुछ दस्तावेज़ दिखाए गए थे. मुझे सभी दस्तावेजों को ध्‍यान से पढ़ना होगा, क्‍योंकि मुझे मुकेश और विनय का प्रतिनिधित्व करने के लिए अदालत द्वारा प्रभार दिया गया है.
पिछली सुनवाई में अदालत ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह मामले के चारों दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी करें और उन्हें एक हफ्ते के भीतर यह बताने के लिए कहें कि क्या वे राष्ट्रपति के सामने फांसी की सजा के खिलाफ दया याचिका दायर कर रहे हैं या नहीं. दरअसल, निर्भया की मां ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की मांग करती याचिका दायर की हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट = (Supreme Court) में दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका 18 दिसंबर ख़ारिज होने के बाद उसी दिन निर्भया की मां की याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस ट्रायल कोर्ट में सुनवाई हुई थी. ट्रायल कोर्ट ने जेल प्रशासन को आदेश दिया था कि वह दोषियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछे कि पुनर्विचार याचिकाओं के ख़ारिज होने के बाद वह अब अपने बचाव में क्या क़ानूनी रास्ता अपनायेंगे और कितने दिन में.
निर्भया की मां ने ट्रायल कोर्ट यानि निचली अदालत से दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए ब्लैक वारंट जारी करने का गुहार लगाई है. ब्लैक वारंट वही निचली अदालत, सेशन कोर्ट जारी करती है जिसमें मामले की ट्रायल हुई है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को बुधवार को नोटिस जारी कर दिया था जिसमें उन्हें राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए 7 दिन को मोहलत दी गई.
यह नोटिस दिल्ली जेल नियम 837 के तहत जारी किया गया है जिसमें दोषियों को नोटिस मिलने के बाद सात दिनों की मोहलत मिलती है राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए. इस बीच अगर दया याचिका दायर नहीं होती है तो जेल प्रशासन दोषियों के ख़िलाफ़ आगे की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. ट्रायल कोर्ट में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले के एक दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी थी जबकि अन्य तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है. इस तरह चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज हो गई !

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